दृश्य-श्रव्य एवं टेलीप्रसारण संसद में उपलब्ध ग्रंथालय और सूचना सेवा के आधुनिकीकरण के एक भाग के रूप में तथा साथ ही इसे और अधिक प्रयोक्ता अनुकूल बनाने के लिए सन 1992 में दृश्य-श्रव्य एवं टेलीप्रसारण इकाई की स्थापना की गयी थी और वर्तमान में यह संसद सदस्यों तथा अन्य लोगों के लिए एक अवलोकन कक्ष और एक सम्पादन कक्ष की सुविधा के साथ संसदीय ज्ञानपीठ के कमरा सं. जी-140 में कार्य कर रही है। इस सेवा में दो एकक हैं - (एक) दृश्य-श्रव्य एकक और (दो) टेलीप्रसारण एकक। दृश्य-श्रव्य एकक यह एकक संसदीय कार्यवाही तथा संसदीय प्रक्रिया और कार्यप्रणाली के विभिन्न पहलुओं और अन्य आयोजनों जैसे सम्मेलन, सेमिनार, संगोष्ठियों, कार्यशालाओं और टेलीफिल्मों की कैसेट्स के त्वरित प्रदर्शन के लिए सामग्री संग्रह, उन्हें प्राप्त करने, रख-रखाव करने और कम्प्यूट्रीकृत डाटाबेस तैयार करने का कार्य करता है। यह एकक विभिन्न कार्यक्रमों की रिकार्डिंग के लिए लोक सभा चैनल को खाली कैसेट/डी वी डी प्रदान करता है। ग्रंथालय को और अधिक प्रयोक्ता अनुकूल बनाने के लिए दृश्य श्रव्य संग्रह में निहित जानकारी का अनुक्रमणिका बनाने तथा अवलोकन करने के लिए एक सॉफ्टवेयर तैयार करवाया गया है। संसद सदस्यों के भाषणों की भुगतान आधार पर उनके प्रयोग के लिए वी एच एस कैसेटों/वी सी डी/डी वी डी में कॉपी करने की भी व्यवस्था की गई है। लोक सभा और राज्य सभा की कार्यवाही दृश्य-श्रव्य ग्रंथालय वर्ष 1992 से लोक सभा की कार्यवाही की रिकार्डिंग को प्रसारण योग्य रूप में विडियो कैसेट में और राज्य सभा की कार्यवाही को वी सी डी फार्मेट में संरक्षित कर रहा है। संसद सदस्यों के लिए लिंग्वाफोन पाठ्यक्रम: दृश्य-श्रव्य एकक ने संसद सदस्यों के प्रयोग के लिए विभिन्न भारतीय तथा विदेशी भाषाओं में लिंग्वाफोन पाठ्यक्रम (आडियो और विडियो कैसेट) भी प्राप्त किए हैं। निम्नलिखित लिंग्वाफोन पाठ्यक्रम (श्रव्य एवं दृश्य कैसेट) अवलोकन कक्ष में सुनने/देखने के लिए उपलब्ध हैं: विडियो कैसेट: लिग्वाफोन पाठ्यक्रम अंग्रेजी के माध्यम से चार विदेशी भाषाओं नामत: फ्रेंच, जर्मन, इटालियन और स्पैनिश में उपलब्ध है। आडियो कैसेट: 2.असमी, बांग्ला, अंग्रेजी, कन्नड़, मलयालम, उड़िया, तमिल और तेलुगू भाषा की कमेंट्री के माध्यम से हिंदी भाषा का पाठयक्रम 4.अंग्रेजी माध्यम से हिन्दी भाषा का लिंग्वाफोन पाठय़क्रम 10 से 15 किमी की दूरी तक लोक सभा की कार्यवाही का सीधा प्रसारण करने के लिए 25 अगस्त 1994 को संसद भवन में एक कम शक्ति का ट्रांसमीटर (एलपीटी) स्थापित किया जाना संसदीय कार्यवाही का पूरे देश में सीधा प्रसारण करने की दिशा में प्रमुख कदम था। कम शक्ति के एक अन्य ट्रांसमीटर की स्थापना के साथ 7 दिसम्बर 1994 से राज्य सभा की कार्यवाही का भी सीधा प्रसारण किया जा रहा है। दोनों सदनों के प्रश्न काल का दूरदर्शन के राष्ट्रीय चैनल पर एक सप्ताह बारी-बारी से पूरे देश में सीधा प्रसारण किया जाता था। ऑल इंडिया रेडियो के राष्ट्रीय चैनल पर भी दोनों सदनों के प्रश्न काल की रिकॉर्डिंग उसी दिन एक-एक सप्ताह बारी-बारी से प्रसारित की जाती है। डीडी न्यूज चैनल शुरू होने के साथ ही दूरदर्शन पर लोक सभा और राज्य सभा, दोनों के प्रश्न काल का एक साथ टेलीप्रसारण वर्ष 2003 के शीतकालीन सत्र से बारी-बारी से एक-एक सप्ताह राष्ट्रीय चैनल और डीडी न्यूज चैनल पर हो रहा है। सीघे टेलीप्रसारण के लिए विशेष उपग्रह चैनल ज्य सभा और लोक सभा की पूरी कार्यवाहियों कापूरे देश में सीधा टेलीप्रसारण करने के लिए दूरदर्शन द्वारा 14 दिसम्बर, 2004 को दृश्य-श्रव्य एकक के समन्वय से 2 अलग-अलग विशेष उपग्रह चैनल स्थापित किए गए थे। 26 जुलाई, 2006 से लोकसभा टीवी चैनल लोक सभा की कार्यवाहियों का सीधा प्रसारण कर रहा है। 24 घंटे चलने वाले इस चैनल का संचालन, रख-रखाव और वित्त-पोषण लोक सभा सचिवालय द्वारा किया जा रहा है। सत्र के दौरान लोक सभा की कार्यवाहियों के टेलीप्रसारण के साथ-साथ यह चैनल देश की जनता के हितों से संबंधित विषयों पर विभिन्न कार्यक्रमों को तैयार तथाटेलीप्रसारण भी करता है। दूरदर्शन/ऑल इंडिया रेडिया/अन्य ऐजेंसियों के साथ समन्वय दृश्य-श्रव्य एकक राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों/सेमिनारों तथा संसद परिसर तथा अन्यत्र आयोजित होने वाले अन्य महत्वपूर्ण संसदीय समारोहों की कार्यवाहियों के टेलीप्रसारण/प्रसारण हेतु दूरदर्शन/ऑल इंडिया रेडियो तथा अन्य ऐजेंसियों के साथ समन्वय कार्य भी करता है। यह एकक सभी संबद्ध ऐजेंसियों को अवसंरचनात्मक तथा अन्य सहायता प्रदान करके प्रभावी तथा निर्बाध टेलीप्रसारण/प्रसारण हेतु आवश्यक प्रबंध भी करता है। संसदीय फिल्में संसदीय कार्यवाहियों की टेलीफिल्म तैयार करने और दूरदर्शन पर उसके प्रसारण के कार्य का विस्तार करते हुए, संसद सदस्यों और अन्य लोगों के लिए विभिन्न संसदीय पद्धतियों और प्रक्रियाओं तथा इससे जुड़े संसदीय विषयों के विभिन्न पहलुओं पर वीडियो फिल्में भी तैयार की गई थी। अब तक तैयार की गई छह संसदीय फिल्में निम्नलिखित हैं – 'गैर-सरकारी सदस्यों के विधेयक'; 'संसदीय प्रश्न'; 'संसदीय शिष्टाचार और व्यवहार'; 'वित्तीय समितियां'; 'विधानमंडलों में वाद-विवाद को स्तरीय बनाना' और 'प्रभावी सांसद कैसे बनें'? सूचना प्रदान करने के लिए उत्तरदायी अधिकारी
श्री अशोक कुमार
श्री वी. के. मित्तल अधिक जानकारी/स्पष्टीकरण, यदि कोई हो, के लिए संबंधित अधिकारी से संपर्क किया जा सकता है। |
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