प्रश्न की सूचना प्राप्त होने पर इसकी इस बाबत जाँच की जाती है कि क्या मंत्री का पदनाम
और उत्तर देने की तिथि का सूचना में ठीक ढंग से उल्लेख किया गया है अथवा नहीं। तत्पश्चात्
इस सचिवालय में एक साथ प्राप्त सूचनाओं के संबंध में उनकी परस्पर प्राथमिकता निर्धारित
करने हेतु बैलेट किया जाता है। तारांकित और अतारांकित प्रश्नों हेतु अलग-अलग बैलेट
किया जाता है। तारांकित, अतारांकित और अल्प सूचना प्रश्नों को अलग-अलग संख्या दी जाती
है और कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर में उनकी अलग-अलग डायरी में प्रविष्टि की जाती है।
अगले चरण में प्रश्न की जांच करनी होती है कि क्या यह नियमों और पूर्वोदाहरणों के अन्तगत
ग्राह्य है अथवा नहीं। प्रश्न मुख्यतः लोक महत्व के किसी मामले के संबंध में जानकारी
प्राप्त करने के उद्देश्य से पूछा जाता है। ऐसे प्रश्नों जिनमें तर्क, अनुमान अथवा
मानहानि कारक कथन हों या अन्यथा किसी व्यक्ति की शासकीय या सार्वजनिक हैसियत के सिवाय
उसके चरित्र अथवा आचरण का उल्लेख हो, को ग्रहीत नहीं किया जाता है। प्रश्नों जो ऐसे
प्रश्नों की पुनरावृत्ति हों जिनके उत्तर पहले दिए जा चुके अथवा जिनके संबंध में जानकारी
उपलब्ध दस्तावेजों में या सामान्य संदर्भ ग्रंथों में उपलब्ध हो, को भी ग्रहीत नहीं
किया जाता है। इसके अतिरिक्त, यदि किसी प्रश्न की विषयवस्तु किसी न्यायालय अथवा किसी
अन्य न्यायाधिकरण अथवा कानून के अन्तर्गत गठित निकाय के समक्ष निर्णय हेतु लम्बित हो
अथवा किसी संसदीय समिति के विचाराधीन हो, तो ऐसा प्रश्न पूछने की अनुमति नहीं दी जाती
है। ऐसे प्रश्नों, जिनमें भारत के मित्र देशों के बारे में अविनयपूर्ण बातों का उल्लेख
हो, को पूछने की अनुमति नहीं दी जाती है। इसी प्रकार नीति विषयक व्याबपक मुद्दों से
संबंधित प्रश्नों को पूछने की अनुमति नहीं दी जाती है क्योंकि प्रश्नों के उत्तर देने
की समय सीमा में नीतियों का प्रतिपादन करना संभव नहीं है। 150 से अधिक शब्दों वाले
अथवा ऐसे मामलों से संबंधित प्रश्न जिसका मुख्यतः भारत सरकार से संबंध नहीं है, को
ग्रहीत नहीं किया जाता है। प्रशासन की छोटी-मोटी बातों और सरकार के दिन-प्रतिदिन के
कार्यों से संबंधित प्रश्नों को भी ग्रहीत नहीं किया जाता है।
उपरोक्त नियमों और पूर्वोदाहरणों को ध्यान में रखते हुए ही किसी प्रश्न को ग्रहीत अथवा
अस्वीकृत किया जाता है। ग्रहीत एवं संपादित प्रश्नों की टंकित प्रतियों को मानक रूप
में तैयार किया जाता है। ग्रहीत प्रश्न की एक अग्रिम प्रति संबंधित मंत्रालय/विभाग को ईमेल के माध्यम से भेजी जाती है ताकि वे अपनी और से उत्तर तैयार करने के लिए प्रश्न में मांगी गई सूचना एकत्र करने की कार्रवाई शुरू कर सकें।
अल्प सूचना प्रश्न को यह इंगित करते हुए कि क्या संबंधित मंत्री अल्प सूचना प्रश्न स्वीकार करते/करती हैं और यदि हां, तो उन्हें इस का उत्तर देने के लिए कौन सी तिथि सुविधाजनक होगी, इसे सर्वप्रथम संबंधित मंत्रालय में भेजा जाता है। यदि मंत्री अल्प सूचना को स्वीकार करते/करती हैं और अध्यक्ष महोदय/महोदया उठाये जाने वाले मामले को तत्काल स्वरूप का समझते/समझती हैं तो अल्प सूचना के प्रश्न को ग्राह्य कर लिया जाता है और हल्के गुलाबी रंग के कागज पर अलग सूची में मुद्रित किया जाता है ताकि इसे सामान्य प्रश्नों की सूची से पृथक किया जा सके। अल्प सूचना के प्रश्न पर प्रश्न काल के पश्चात् चर्चा की जाती है।
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