प्रकाशित पुस्तकें
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बड़े हज़रत, मौलाना असद मदनी (उर्दू पुस्तक)
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सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यकलाप
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लोगों, विशेषकर वंचित और दलित वर्गों के लोगों के सामाजिक-आर्थिक कल्याण के लिए कई पहलें की: (एक) असम के भिन्न-भिन्न ग्रामीण स्थानों पर चार अस्पताल खोले, जैसे हाजी अब्दुल मजीद मेमोरिअल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सैन्टर, होजई; अल-सलाम चैरिटेबल हॉस्पिटल, ग्वालपाड़ा; बदरपुर चैरिटेबल हॉस्पिटल, करीमगंज; एडब्ल्यूएचएक्यू चैरिटेबल हॉस्पीटल, मोरीगांव; (दो) वंचित और पिछड़े वर्गों के छात्रों में कम्प्यूटर शिक्षा का प्रसार करने के लिए ग्रामीण असम में अजमल कम्प्यूटर केन्द्र (कुल 35) स्थापित किए; (तीन) अजमल स्किल ट्रेनिंग फॉर एम्पलायमेंट एंड प्लेसमेंट के मुख्य संरक्षक के रूप में ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली के साथ संयुक्त रूप से उन्होंने गरीबी की रेखा से नीचे आने वाले युवाओं केा प्रशिक्षित करने और उन्हें बहुराष्ट्रीय कम्पनियों में नौकरी दिलाने के लिए महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और असम के 24 जिलों में 24 केन्द्र स्थापित किए। इससे 8,000 से अधिक परिवारों को जीविका कमाने के अवसर प्राप्त होंगे। 6500 से अधिक युवाओं को प्रशिक्षित किया गया और लगभग 5,000 युवाओं को भारत और विदेशों में विभिन्न संगठनों में नौकरी दिलाई गई; (चार) नस्लीय हिंसा और प्राकृतिक आपदाओं के शिकार 1,010 अनाथों के लिए 5 दारूल यातमा; (पांच) अजमल ग्रामीण प्रौद्योगिकी और प्रदर्शन केन्द्र और कृषि विकास केन्द्र के मुख्य संरक्षक होने के नाते जीविका उपार्जन के लिए युवाओं और किसानों को क्रमश: औद्योगिक और कृषि प्रशिक्षण देने में सहायता करना; (छह) उनके कुशल नेतृत्व में असम के कोकराझार, धुबरी, बोंगईगांव और चिराग के अशांत जिलों में बड़े पैमाने पर राहत और पुनर्वास मिशन प्रारम्भ किया गया। इस मिशन के तत्वावधान में कई सौ मकान बनाए गए और लाखों परिवारों को खाद्य वस्तुएं, दवाइयां, वस्त्र, बर्तन, तिरपाल, मच्छरदानी, जीआई चद्दर और रिक्शा, हस्त चालित गाड़ियां, साइकिल तथा स्व-रोजगार के लिए राजगीरी और बढ़ई के उपकरण प्रदान किए गए। इन समाज सेवी कार्यकलापों को अजमल फाउंडेशन, मरकाजुल मारिफ़ और हाजी अब्दुल माजिद अस्पताल के तत्वावधन से अलइमदाद फाउंडेशन ( दक्षिण अफ्रीका और यू. के.); मुस्लिम एंड ऑस्ट्रेलिया; आईएचएच, तुर्की; उम्माह वेलफेयर ट्रस्ट, यू.के. बैतुलमाल, यू.एस.ए.; इएससीओ, यूएसए; ह्यूमन अपील, यू.के.; न्यूस्टार फाउंडेशन, यू.के. जैसे अनेक विख्यात अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के सहयोग से किया गया।
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विशेष अभिरुचि
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मदरसा स्नातकों को आधुनिक शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण; मरकारूल मारिफ़ एजूकेशन और रिसर्ज सेन्टर, मुम्बई चलाते हैं; मदरसा छात्रों को अंग्रेजी भाषा और शोध कौशल सिखाते हैं; मरियम अजमल वुमेन कॉलेज ऑफ साईंस एंड टेक्नाॅलॉजी, होजई, असम की स्थापना करके महिलाओं को शिक्षा सुलभ कर रहे हैं।
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आमोद-प्रमोद और मनोरंजन
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धार्मिक प्रवचन तथा इस्लामिक धर्मशास्त्र के विचारों का आदान-प्रदान; परिवार और मित्रों के साथ अच्छा समय व्यतीत करना; कुरान पढ़ना; पुस्तकें पढ़ना; शिक्षा को बढ़ावा देना; सफल होने और भरण-पोषण के लिए गरीबों के लिए साधन सृजित करना; गरीबों के कल्याण के लिए स्कूल और संस्थाएं स्थापित करना; जाति, पंथ और धर्म का भेद किए बिना ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास के लिए कार्य करना।
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खेलकूद और क्लब
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सदस्य, स्काईवार्डस
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विदेश यात्रा
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अनेक देशों की यात्रा की
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अन्य जानकारी
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संस्थापक: (एक) मरकज अकेडमी एंड एसोसिएट स्कूल, मरियम अजमल वुमन कॉलेज ऑफ साईंस एंड टेक्नाॅलॉजी, होजई; (दो) अजमल कॉलेज समूह संस्थापक अध्यक्ष: प्रसिद्ध गैर सरकारी संगठन मरकाजुल मारिफ़, होजई, असम, जो स्कूल, अनाथालय और कल्याण परियोजनाएं चलाता है संस्थापक न्यासी: एचएएमएम पब्लिक ट्रस्ट न्यासी: दारूल उलूम इमदादिया, मुम्बई प्रबंध न्यासी: (एक) एचएएमएम हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेन्टर, असम; (दो) अजमल फाउंडेशन; (तीन) अल सलाम चैरिटेबल हॉस्पिटल, ग्वालपाड़ा; और (चार) एडब्ल्यूएचएक्यू हॉस्पीटल माॅइराबाड़ी चेयरमैन: (एक) मरकज दारूल यातामा, उदाली, असम (200 छात्र); (दो) मरकर दारूल यातामा, माणिपुर, असम (150 छात्र); (तीन) मरकाजुल मारिफ़ एजुकेशन एण्ड रिसर्च सैन्टर, मुम्बई अध्यक्ष: (एक) मरकज दारूल यातामा, ग्वालपाड़ा असम (1000 छात्र); (दो) आल इंडिया यूनाइटिड़ डेमोक्रेटिक फ्रंट; (तीन) आल असम तंजिम मदारिस-ए-कूमिया; (चार)नायब-ए-शाइखुल जामिया दारूल उलूम बसकांडी; (पांच) होजई सैशन रिसेप्सन कमेटी ऑफ असम साहित्य सभा, 2004; और (छह) स्टेट जमीयत उलेमा-ए-हिन्द, असम; (सात) दारूल हादिथ, जयनगर मदरसा; असम; (आठ) आल असम नान गवर्ननमेंट मदरसा बोर्ड; प्रो-वाइसचांसलर, दारूल उलूम, बनासकांड़ी (असम); निदेशक: (एक) शैक-उल-हिन्द अकादमी, देवबंद, यू.पी.; (दो) अजमल कम्पनी समूह सदस्य: (एक) (शूरा) परामर्शदात्री बोर्ड, दारूल उलूम देवबंद, सहारनपुर, यू.पी. (दो) केन्द्रीय कार्य समिति, जमीयत-ए-उलेमा-ए-हिन्द, नई दिल्ली; (तीन) मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड; (चार) परामर्शदात्री बोर्ड, दारूल उलूम, देवबंद, उत्तर प्रदेश; (पांच) शासकीय निकाय, मदरसा-ए-शाही, मुरादाबाद;(छह) शासकीय निकाय, मदरसा ताराजा माउल मस्जिद, भोपाल; और (सात) केन्द्रीय कार्य समिति, जमीत-ए-उलेमा-ए-हिन्द; मुख्य संरक्षक: वर्ष 2004 में होजाई को 100 प्रतिशत साक्षर बनाने के लिए 100 दिन के वृहत्त साक्षरता कार्यक्रम, पूरे पूर्वी भारत में ऐसी उपलब्धि प्राप्त करने वाला यह अकेला नगर था; रोजगार और काम पर लगाने के लिए अजमल कौशल प्रशिक्षण, जो भारत सरकार, ग्रामीण विकास मंत्रालय, नई दिल्ली के साथ संयुक्त रूप से शुरू किया गया; और अजमल ग्रामीण प्रौद्योगिकी और प्रदर्शन केन्द्र और कृषि विकास केन्द्र; वर्ष 2013 में नई दिल्ली की प्रसिद्ध आउटलुक पत्रिका द्वारा कराए गए जन सर्वेक्षण में असम के सर्वाधिक प्रभावशाली भारतीय चुने गए। दलितों के लिए उनके कल्याणकारी क्रियाकलापों और विकासपरक प्रयासों के लिए एएफएमआई द्वारा 29 दिसम्बर 2013 को गुवाहाटी में आयोजित अखिल भारतीय शैक्षणिक अधिवेशन में मोहसीन-ए-मिल्लत की उपाधि प्रदान की गई। शिक्षा के क्षेत्र में विशेषकर पूर्वोत्तर क्षेत्र में असाधारण कार्य करने के लिए दिसम्बर 2013 में न्यायमूर्ति एम.एस.ए. सिद्धिकी द्वारा पूर्वोत्तर के सर सयैद के खिताब से नवाजा गया। आम आदमी की सेवा करने के लिए राजनीति में सक्रिय रूप से शामिल हैं क्योंकि उनके विचार से यह एक ऐसा मंच है जो किसी भी देश का भविष्य विशेषकर गरीब और जरूरतमंद लोगों की तस्वीर और भविष्य बदल सकता है। ग्रामीण और सुदूर क्षेत्रों में अनेक शैक्षणिक, सांस्कृतिक और सामाजिक संस्थाओं से सक्रिय रूप से सम्बद्ध हैं।
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