संविधान के अनुच्छेद 120 के अन्तर्गत सभा का कार्य हिन्दी या अंग्रेजी में किया जाता है, परन्तु जो सदस्य इन दोनों भाषाओं में से किसी भी भाषा में अपने विचारों को अच्छी तरह व्यक्त न कर सके, वह अध्यक्ष की अनुमति से संविधान की आठवीं अनुसूची में उल्लिखित भाषाओं या अपनी मातृभाषा में भाषण दे सकता है। ऐसे सदस्य को, सभा में अपना स्थान ग्रहण करने के तत्काल बाद इस बारे में अध्यक्ष को लिखित सूचना देनी चाहिए। ऐसे प्रत्येक अवसर पर सभा में भाषण देने के कम से कम आधा घंटा पूर्व उसे इस आशय की सूचना पटल अधिकारी या संसदीय सूचना कार्यालय को दे देनी चाहिए कि उसका विचार कार्य की अमुक-अमुक मद पर अमुक-अमुक भाषा में भाषण देने का है। ऐसी सूचना प्राप्त होने पर यदि सदस्य द्वारा बताई गई भाषा आगे उल्लिखित भाषाओं में से कोई एक भाषा होगी अर्थात् (एक) कन्नड़; (दो) मणिपुरी; (तीन) मराठी; (चार) उड़िया; (पाँच) तमिल; (छह) तेलुगु; (सात) पंजाबी; (आठ) संस्कृत; तथा (नौ) उर्दू तो अंग्रेजी और हिन्दी में उसका साथ-साथ अनुवाद करने की व्यवस्था की जाएगी।